Mustard Oil Today Price: सरसों तेल के दाम में आई बड़ी गिरावट, अब आम लोगों को मिलेगी राहत

 

Mustard Oil Today Price: भारतीय रसोई में सरसों तेल का एक अलग ही महत्व है। इसका स्वाद और खुशबू हर घर में परंपरा की तरह मौजूद है। लेकिन पिछले कुछ महीनों से सरसों तेल के लगातार बढ़ते दामों ने लोगों की जेब पर भारी असर डाला था। अब इसी बीच एक राहत भरी खबर सामने आई है। ताजा जानकारी के अनुसार बाजार में सरसों तेल के दाम में गिरावट आई है जिससे आम लोगों को थोड़ी राहत मिली है।

सरसों तेल की कीमत में बदलाव से घर का बजट संभला

कई राज्यों के थोक बाजारों में सरसों तेल के दाम 5 से 10 रुपये प्रति लीटर तक कम हुए हैं। यह गिरावट त्योहारी सीजन से पहले आई है जिससे घर का खर्च थोड़ा हल्का हुआ है। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्यप्रदेश में अब सरसों तेल 130 से 145 रुपये प्रति लीटर तक बिक रहा है जबकि कुछ हफ्ते पहले यही दाम 150 रुपये तक पहुंच गए थे।

सरकार का ध्यान अब कीमतें स्थिर रखने पर है

केंद्र सरकार ने सरसों और अन्य खाद्य तेलों की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए कुछ नए कदम उठाए हैं। स्टॉक लिमिट तय की गई है ताकि व्यापारी जरूरत से ज्यादा तेल जमा न कर सकें। इसके अलावा मंडियों में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए डिजिटल निगरानी शुरू की गई है। सरकार का कहना है कि जमाखोरी पर सख्ती के कारण बाजार में कीमतें स्थिर रह सकेंगी।

सरकार ने इस बार सरसों की फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया है ताकि किसानों को उनकी मेहनत का उचित दाम मिल सके। कृषि विभाग का मानना है कि अगर किसानों को सही दाम मिलेगा तो आने वाले सालों में उत्पादन भी बढ़ेगा। इससे देश में सरसों तेल की सप्लाई मजबूत होगी और कीमतों में अचानक उछाल नहीं आएगा।

बाजार में उतार चढ़ाव के पीछे मौसम की बड़ी भूमिका

सरसों तेल की कीमतें कई बार मौसम के कारण ऊपर नीचे होती हैं। जब बारिश ज्यादा या कम हो जाती है तो फसल को नुकसान पहुंचता है और उत्पादन घट जाता है। यही वजह है कि कीमतें अचानक बढ़ जाती हैं। वहीं जब मौसम अच्छा रहता है तो पैदावार बढ़ती है और तेल सस्ता मिलता है। इस बार मानसून ठीक रहा जिससे फसल का उत्पादन अच्छा हुआ और बाजार में आपूर्ति बढ़ी।

आयात पर निर्भरता घटाने की कोशिश

भारत में अभी भी खाद्य तेलों का एक बड़ा हिस्सा विदेशों से आता है। सरकार चाहती है कि देश में ही सरसों और अन्य तिलहन फसलों का उत्पादन बढ़े ताकि विदेशी तेल पर निर्भरता कम की जा सके। इसके लिए किसानों को नई तकनीक और उन्नत बीज दिए जा रहे हैं। अगर यह योजना सफल रही तो आने वाले कुछ सालों में भारत खाद्य तेल के मामले में आत्मनिर्भर बन सकता है।

सरसों तेल की कीमत में गिरावट से सबसे ज्यादा फायदा मध्यम वर्ग और गरीब परिवारों को हुआ है। पिछले कुछ समय से महंगाई के कारण रसोई खर्च काफी बढ़ गया था लेकिन अब थोड़ी राहत मिली है। अगर कीमतें इसी तरह नियंत्रित रहीं तो आने वाले महीनों में घरों का बजट थोड़ा संतुलित रहेगा और त्योहारी सीजन की तैयारी भी आसान होगी।

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